आज़ हम अपनी आज़ादी
की वर्षगांठ का 66वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। एक देश के रूप में हमारी बहुत
सी उम्मीदें 66 साल पुरानी हैं, सपने तो शायद
उससे भी ज्यादा पुराने हैं। लेकिन हमें मायूस नहीं होना है और निरंतर आगे बढ़ते
रहना है। 
अब कुछ देशवासी
मायूसी के साथ कहते हैं कि- “अब खोखले हो गए
हैं ‘जय हिन्द’
के हमारे नारे। अरे ज़नाब यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है।
यह बात भी अपनी
जगह पूरी तरह सच है कि 15 अगस्त 1947 से करीब 25 साल पहले जंगे-ए-आज़ादी के किसी
सूरमा ने तब ये कहा था कि ‘हम यह अच्छी तरह
से समझ लें कि स्वराज तुरंत नहीं आ जायेगा। एक बेहतर सरकार या जनता के लिए सच्ची
खुशी पाने में लंबा वक्त लगेगा’। उन्होंने सच्चे
‘स्वराज’
की राह में 4 रुकावटों का जिक्र किया था,
जो उनकी निगाह में लोगों की ‘ज़िन्दगी को नर्क
बनाने’ की ताकत रखती है: (1) चुनावी भ्रष्टाचार
(2) अन्याय (3) धन की ताकत व निरंकुशता (4) प्रशासनिक अक्षमता।
माना कि इन चारों
व्याधियों ने आज़ हमारे देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। बल्कि इन्होंने हमें,
यानि हमारी तरह तमाम भारतीयों को अपना शिकार भी बना लिया है।
यह ठीक है कि अब
भी हज़ार दुश्वारियां हैं। लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि आप हमेशा निगेटिव ही
क्यों सोचते हैं पाजटिव सोच रखने के लिए भी हमारे पास बहुत कुछ है। अब ज़रा दूसरे पहलू
पर भी तो गौर फरमाइए !
ये क्यों नहीं
दिखता आपको कि आज़ादी के बाद के सफ़र में आयी चुनौतियों से हम बखूबी निपटे भी तो
हैं। क्षेत्रीयता, जनसंख्या,
गरीबी, राजनीतिक अस्थिरता,
युद्ध और छद्म युद्ध लगातार देश के सामने आए। पर हमारे संविधान कि खूबी ही कुछ ऐसी
है कि उसने इन सबसे पार पाने में हमारी मदद की। ये क्या कम है कि गठबंधन सरकार के
दौरान भी केंद्र मज़बूत रहता है। हमले होते हैं और हम उसका जवाब भी बखूबी देते हैं।
बेशक आज हमारी भारतीय मुद्रा की गिरावट विश्व अर्थव्यवस्था में हमारी दावेदारी के
जोख़िम को दर्शाती है लेकिन ज़रा ये सोचिए आज़ हम ऐसे ही नहीं दुनिया की चौथी सबसे
बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। और उम्मीद है कि 2050 तक हम चीन को पीछे छोड़ देंगे।
भाई साहब आज़ हमारे पास दुनिया का सबसे बड़ा सड़कों का नेटवर्क भी तो है जो 19 लाख
मील है वो ऐसे ही नहीं बन गया है। आप ये क्यों नहीं सोचते कि वर्तमान में हमारी
फ़ौज में 13.25 लाख सैनिक हैं और हमारी फ़ौज दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सेना है।
इंडियन आर्मी के पास 80-100 सक्रिय परमाणु हथियार मौजूद है फिर भी हमें शांत रहना
ज्यादा पसंद है। तमाम समस्याओं के बावजूद अच्छी बात यह है कि हमारे पास उम्मीद की कई
किरणें भी हैं। हमारी न्यायपालिका तमाम खामियों के बावजूद कई तरह के बाहरी दबावों से
मुक्त है। चुनाव आयोग के रूप में हमारे पास ऐसी संस्था है,
जिस पर हम गर्व कर सकते हैं। अपनी सरकार खुद चुनने की आज़ादी पर कोई ख़तरा नहीं है।
भाई,
भारत का सभ्य नागरिक होने के नाते मैं तो कभी अपने देश को बुरा नहीं कहता और ना ही
उसे कोसता हूँ। भारत को कोसने वालों से मैं यही कहूँगा कि हज़ार दुश्वारियां के बाद
भी हम आगे ही हैं। आज स्वतंत्रता दिवस पर जरूरत है,
ऐसी उम्मीदों को बढ़ाने की और तमाम निराशाओं को लगातार कम करने की। वाकई कुछ बात तो
है हमारे अंदर “जो हस्ती मिटती
नहीं हमारी, बरसों रहा है
दुश्मन दौरे जहाँ हमारा”। यार कमियाँ हर समाज में
होती हैं। भारत में भी हैं। हाँ, हमें अब भी उन बहुत
सारी बुराइयों का विरोध करने के साथ-साथ उन्हें दूर करने का प्रयास भी करना है,
जो सारे जहाँ से अच्छे इस देश को आगे बढ़ने से रोक रही हैं। यह जरूर है कि इस दौर
में भी देश की दिशा और दशा को लेकर बहुत से लोगों की राय अलग-अलग है। फिर भी हमें
निरन्तर बढ़ते रहने से कोई नहीं रोक सकता। याद रखें कि “हर आँख का हर आँसू पोछना
अब भी हमारा सपना और संकल्प है। यही सबसे बड़ी चुनौती भी है”।
किसी ने कहा था कि-
“तेरी छांह तले,
हम जैसे भी हों जीते तो हैं !”
अंत में सभी को स्वतंत्रता
दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ !
जय हिन्द,
जय भारत !
