False Greetings
आज दिल से एक बात बोलूँ...
ये मुबारकबाद, बधाई, शुभकामना संदेश भेजना
और फोन पर देर तक बे-मतलब, बे-मक़सद की बात करना (जरूरत के अलावा)
मुझे कभी पसंद नहीं आया...
मुझे आपसी मेल-जोल पसंद है... प्यार-मोहब्बत पसंद है... बिना formality के जीना पसंद है,
बस उनमें होने वाले दिखावे पसंद नहीं
हैं।
अब वो क्या है कि मैं कुछ ऐसा ही हूँ...
मुझे ये सब दिखावा बिल्कुल झूठ जैसा लगता है...
यार, आप ही बताओ आपके जीवन में इससे कुछ बदलता है क्या...? नहीं न। लगता है जैसे ये झूठ-मूठ का खुश हो कर हम किसी कंपनियों का कोई
उत्पाद बेच रहे हैं।
अब देखिये जन्मदिन पर दूसरों को बधाई देने का चलन है, और सच भी सब जानते हैं
कि हर जन्मदिन पर व्यक्ति के जीवन का एक वर्ष कम हो जाता है, फिर भी लोग उसे बधाई देने पिले पड़े रहते हैं। यही है झूठ का चलन। और मैं
इस तरह के किसी भी झूठ से बाहर रहना चाहता हूँ।
अब लोग कहेंगे कि आपके विचार सकारात्मक नहीं हैं। तो भई ये भी तो आपने ही तय
किया है... कि जो आपको अच्छा लगे वो वाला विचार सकारात्मक। और जो आपको अच्छा न लगे
वो वाला नकारात्मक। इसको नापने का अब तक कोई पैमाना बना है क्या?
अब आप कहोगे कि खुश रहने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती। जो मानव जीवन के
लिए बेहतर है। तो भैया, पहली बात ये कि ऐसी किसी ऊर्जा को विज्ञान नहीं मानता तो मैं ठहरा प्रखर
नास्तिक, मैं कैसे मान सकता हूँ?
रही बात अब मानव के बात-बात पर उत्सव मनाने की तो भैया मुझे अब ज़्यादातर उत्सव
में उन्माद नज़र आता है। जो मुझ जैसे शांतिप्रिय को कहीं से पसंद नहीं आता। अब
इनमें प्रेम व सादगी जैसी कहीं कोई बात नहीं दिखती? जो लोग उत्सव के नाम पर आपस में जाम लड़ाते
हैं वही पीठ पीछे एक-दूसरे की बुराई भी करते हैं। पीठ थपथपा कर झूठी बधाइयाँ भी
देंगे और उसी की leg pulling भी करेंगे। मुझे लोगों का ये
दोहरा चरित्र कभी पसंद नहीं आया। हम जैसे अंदर से हैं वैसे ही बाहर से दिखें,
यह समाज और हमारे खुद के लिए भी ज्यादा बेहतर है।
लेकिन लोग हैं झूठ का दामन थाम कर दिखावे का ढकोसला करते हुए दूसरों को cheat करने में पता नहीं
क्यों आनंदित होते हैं? मुझे ऐसे आनंद में जीने से अच्छा
अपनी दुनियाँ में कहीं खोए रहना ज्यादा पसंद है इस तरह की झूठी ज़िन्दगी जीने में
मेरी कतई कोई दिलचस्पी नहीं है।
हो सकता है, ये बातें उन्हें समझ में न आएँ जो अपने बढ़े हुए टेस्टोस्टेरोन*
की वजह से जोश में हैं। लेकिन जो स्थिरता पर हैं उन्हें समझ में जरूर आएगी।
*टेस्टोस्टेरोन (Testosterone {C19H28O2}) एक हॉर्मोन है जो
पुरुषों के अंडकोष में पैदा होता है। आमतौर पर इसे मर्दानगी के रूप में देखा जाता
है। इस हार्मोन का पुरुषों की आक्रामकता से सीधा संबंध है। इसका स्तर हर दिन
सामान्य नहीं होता है। टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन उम्र के साथ कम होने लगता है एक
अनुमान के मुताबिक 30 और 40 की उम्र के
बाद इसमें हर साल दो फ़ीसदी की गिरावट आने लगती है।
-धर्मेन्द्र
'गूगल'