छतों से कूदना छत पर,
छतों से छत पे चढ जाना 
पलों पे पाँव रख कर,
कूद जाते थे जमाना 
वो घर ना थे, घराने थे 
छतों के वो जमाने थे 
सुबह से शाम करते थे 
दुपहरे रातें करते थे 
छतों से जोड़कर छत 
जब मोहल्ले बाते करते थे 
छतों पर सूतना मांझे
उड़ाना गुडियां, पेंचे लड़ाना 
वो घर न थे, घराने थे 
छतों के वो जमाने थे 
छतों से साडियां,
दरियां उठा लाना 
बडी छत पर रामलीला खेला करते थे 
जिन्हे हनुमान बनना था 
वो करके तेल मालिश 
सुबह से छत पे आकर
एक सौ दंड पेला करते थे 
अनु की शादी में
खाला के गोलगप्पे चलते थे 
बजा करते थे ढोलक
और दिन भर टप्पे चलते थे 
छतों से जोडकर छत जब 
मोहल्ले बातें करते थे 
नहाकर गीले बालों में
किसी का छत पे आ जाना 
उचक कर रस्सीयों पर 
गीले कपड़ों का सुखाना
हमेशा याद आएगा
किसी को देख कर
धड़कन का बढ़ जाना 
छतों से कूदना छत पर 
छतों से छत पे चढ जाना 
पलों पे पांव रखकर 
कूद जाते थे जमाना।

~Gulzar
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